परीक्षा तो परीक्षा होती है
बात मेरी विद्याथी जीवन के समय से है । वर्ष भर की पढाई का लेखाजोखा पूरे ढाई घंटे के परीक्षा भवन में पूरा होना थां अध्ययन और आत्मविश्वास तो पूरा था लेकिन परीक्षा तो परीक्षा होती है। बनने वाले और जानकारी वाले प्रश्नो को देख कर मन पुलकित होता है और एक जीत की सफलता का बोध होने लगता है पर गणित से संबंधित तो प्रश्न बडे दगाबाज होते है बनते बनते एक गलत दाव से ढह जाते है और पूरे समय और अंक का भट्ठा बैठ जाता है।पूरी तन्मयता से प्रथम घंटा बजते तक सभी बन सकने वाले सामान्य प्रश्नों को लगाते लगाते यह भी बोध था कि मुझे कुछ असामान्य विशेष अंक प्राप्त करने का दबाव था क्योकि सामान्य से कुछ ज्यादा दिखाने की मैंने खुली चुनौति तो खुद पहले से ही अपने साथियो और अभिभावको ] प्रतिष्पर्धियो को दे रखी थी।अचानक घोषित हुआ कि आधा समय बीत गया है और अब बचे हुये मंजिल और सफर को देख कर धैर्य छूटा कि अभी तो बडे सवाल जिसको हल कर लेने का मुझे आत्मविश्वास था अनछुआ है। हालाकि मनः स्थिति तो पहले से ही थी कि कब इसे छेडना है और बस कुछ आसपास ही होने की गुंजाइस से थोडा पीछे चल रहा था इसलिये सीधे सामना करते हुये बनते हुये अन्य सवाल छोड कर मुख्य 10 अंक वाले पर जूझ पडा। पिछली वाली सीट से पप्पू का बमिता से फुसफसाते सुना कि उसका उत्तर तो 4 लाख करोड आ रहा है जबकि रामदौवा तो 4 अरब बता रहा है कुछ गलत आ हो रहा है मेरा ---------------तेरा कितना है बताना। मैं भी सकते में था कि हे भगवान इन लोगो ने तो अटेंप्ट भी कर लिया है मैं तो अभी इसे छू रहा हूॅ। क्या करू ----------------------------------कही मेरा उत्तर भी गलत हो गया और मेरे कहे अनुसार यदि मेरा प्राप्ताॅक कम हो गया तो----------------------------------कह दूगॅा कि सवाल बहुत कठिन था आउट आफ सिलेबस से था।या फिर कह दूगॅा कि मैने तो कम से कम प्रयास तो किया बाकी लोग तो कभी इतना अंक ला ही नहीं सकते थे मैने तो सच्चे मन से पूरा प्रयास तो किया। नही यदि मै नियमानूसार स्टेप बाई स्टेप सवाल को हल करूॅगा तो भले ही उत्तर गलत आये पर वेल्यूअर कुछ तो नंबर देगा। अचानक शोर सुनाई दिया कि सर अतिरक्ति कापी सप्लीमेंटरी दो --------------------जल्दी --------------------जल्दी --------------------- मेरा उत्तर आने ही आने वाला है।मैने पलट कर उसे देखा तो झाडूमल बंटानी बालीवाल कि तरह उछलता दिख रहा था । मैं तनाव मे था कि हे भगवान लाज रख लेना मेरी कही भी गल्ति मत करवा देना तनाव और जल्दी में हमेशा निपुरना पडता है। समय और सवाल कीउत्तर से दूरी बढते देख कर हाथे के साथ साथ गले में भी पसीना चूने लगा। हो गई ना हेकडी दूर की कहता था कि पूरे 100 में 100 लाकर बताउॅगा और अभी तो मंजिल दूर लग रही थी। अचानक हवा का ठंडा झोका आया और चपरासी बनवारी ने एक दो गिलास ठंडा पानी पिलाया जैसे कि माॅ का दुलार और कृपा जैसा चमत्कार हुआ और पसीना पोछ कर फिर नई शक्ति से मंजिल की और एक नई इतिहास लिखने को मैं जुट गया। भाग्य भी पुरूषार्थी ] हिम्मती और जोखिम उठाने वालों का साथ देती है को याद करते हुये मैं बढ चला अपने मंजिल की ओर कि यदि जीत गया तो भी इतिहास और यदि हारा तो भी इतिहास ही बनेगा कि------------------------------ कुछ नही करने से अच्छा तो कर के मरना अच्छा ।
अचानक हल्ला गुल्ला बढ गया कि फलाईग स्कावाड आ गई है ं सारे नकलची आने आने पुर्जिया खिडकी के बाहर पुर्जी फेकने लगे और तन के सम्हल के बैठ गये जबकि कुछ चग्गढ नकलची अभी भी पूरी की पूरी किताब पेट में खोसे चुपचाप बैठे थे और बटेर की तरह गोल गोल आॅख धुमा कर शून्य में उत्तर याद करके लिखने की भंगिमा कर रहे थे । स्कावाड ने शक के तौर पर जहॅा दो चार को खडे करवा के खुजाई करवाई तो बाकी भुकदम नकचियो को मूत्रालय भाग कर जाने का सिलसिला चल पडा और फिर पाबंदी लगने पर एक के बाद एक निपटने भागे। पानी के उतरन को दूर करने के लिये मै भी जब मूत्रालय गया तो पाया कि समूचा मूत्रालय पुर्जे नोट्स और किताबो की कटिंग से अटा पडा मानो कह रहा था जितनी मेहनत इसे बनाने में की होगी उतनी मेहनत इमानदारी से इसे समझने और दिमाग में उतारने में की होती तो क्या ये क्या हो जाता। ---------------------------------------शेष आगे